Description
भारत में टेलीविज़न की पहुँच 95% से अधिक है, और इसकी विषयवस्तु का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एक समय था जब रामायण और महाभारत जैसे कार्यक्रमों के प्रसारण के दौरान दिल्ली की सड़के सुनसान हो जाती थीं। लेकिन आज, टेलीविज़न एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है, जहां न्यू मीडिया और इंटरनेट का वर्चस्व है।
इस पुस्तक में, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चैनलों की रेटिंग व्यवस्था का विस्तार से वर्णन किया गया है। पत्रकारिता के छात्रों, टेलीविज़न पत्रकारों, और शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक एक अमूल्य संसाधन साबित होगी, खासकर उनके करियर के शुरुआती चरण में, जब उन्हें समाचार चैनलों में TRP की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
इस पुस्तक में आप पाएंगे:
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चैनलों की रेटिंग व्यवस्था का वर्णन
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रेटिंग प्रणाली का विकास और भारत में इसकी उत्पत्ति और विकास का विस्तृत विवरण
रेटिंग प्रणाली की जटिलताओं का सरल शब्दों में प्रस्तुतीकरण
समाचार की विषयवस्तु और TRP के आपसी संबंधों की परिभाषा
टीवी पत्रकारों और टेलीविज़न दर्शकों के व्यवहार पर प्रकाश
यह पुस्तक टेलीविज़न पत्रकारिता के छात्रों और पेशेवरों के लिए भविष्य में बेहद उपयोगी होगी।
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